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कटहल’ की सफलता का राज़: क्यों दो साल बाद भी दर्शक बार-बार देख रहे हैं सान्या मल्होत्रा की यह नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म? |
हीरो नहीं, हीरोइन ने जीता दिल: सान्या मल्होत्रा की ‘कटहल’ कैसे बनी 2025 की नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म और OTT पर सबसे बड़ा ट्रेंड?
फिल्मी दुनिया में अक्सर दर्शक हीरो और विलेन की कहानियों से जुड़ते हैं, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो अपनी अनोखी कहानी और दमदार महिला किरदार की वजह से खास पहचान बना लेती हैं। हिंदी सिनेमा की ऐसी ही एक बेहतरीन फिल्म है ‘कटहल’, जो 2023 में रिलीज हुई थी और आज दो साल बाद भी OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर ट्रेंड कर रही है। इस फिल्म ने साबित किया है कि अगर कहानी दमदार हो और अदाकारी बेहतरीन, तो न बड़े स्टार की जरूरत होती है और न ही भव्य सेट्स की। सान्या मल्होत्रा की लाजवाब परफॉर्मेंस और यशोवर्धन मिश्रा के निर्देशन में बनी यह फिल्म कॉमेडी, सामाजिक व्यंग्य और सच्चाई का मिश्रण है। यही वजह है कि दर्शक इसे बार-बार देख रहे हैं और यह नेटफ्लिक्स की टॉप 10 लिस्ट में जगह बनाने में कामयाब रही है।
‘कटहल’ की कहानी क्यों है अलग?
‘कटहल’ की कहानी महिमा नामक पुलिस इंस्पेक्टर (सान्या मल्होत्रा) के इर्द-गिर्द घूमती है। महिमा ईमानदार, चतुर और अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाने वाली अफसर हैं। कहानी तब दिलचस्प मोड़ लेती है जब स्थानीय विधायक (विजय राज) के घर से दो दुर्लभ किस्म के कटहल चोरी हो जाते हैं। विधायक इस मामले को बेहद गंभीर बताते हैं और पुलिस पर दबाव बनाते हैं कि इसे जल्द से जल्द सुलझाया जाए।
यहां से शुरू होता है एक ऐसा सिलसिला, जो सिर्फ कटहल चोरी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि समाज के असल मुद्दों जैसे जाति, वर्ग, लिंग भेदभाव और सत्ता की राजनीति को भी उजागर करता है। निर्देशक ने इस गम्भीर विषय को हल्की-फुल्की कॉमेडी के साथ इस तरह पिरोया है कि दर्शक मनोरंजन के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर हो जाते हैं।
सान्या मल्होत्रा का दमदार प्रदर्शन
सान्या मल्होत्रा ने महिमा के किरदार में जान डाल दी है। उनका अभिनय कहीं भी बनावटी नहीं लगता, बल्कि एक वास्तविक पुलिस अफसर की झलक दिखाता है। उन्होंने दिखाया कि किस तरह एक महिला अधिकारी पुरुष-प्रधान सिस्टम में काम करती है और अपनी समझदारी से मुश्किल हालात का सामना करती है। उनकी अदाकारी ही इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है।
सह कलाकारों का शानदार योगदान
फिल्म में राजपाल यादव, विजय राज, रघुबीर यादव और बृजेंद्र काला जैसे दिग्गज कलाकारों ने भी शानदार अभिनय किया है। खासकर विजय राज का विधायक का किरदार, जो कटहल चोरी को राष्ट्रीय मुद्दा बना देता है, दर्शकों को खूब भाता है। वहीं राजपाल यादव का हल्का-फुल्का ह्यूमर कहानी को और भी रोचक बना देता है।
सामाजिक व्यंग्य और कॉमेडी का मेल
‘कटहल’ सिर्फ एक मनोरंजक फिल्म नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज और राजनीतिक व्यवस्था का आईना भी है। फिल्म बताती है कि सत्ता में बैठे लोग आम जनता की समस्याओं से ज्यादा अपने निजी हितों को प्राथमिकता देते हैं। वहीं, पुलिस तंत्र कैसे दबाव में काम करता है और असली अपराधों को दरकिनार कर देता है, यह भी इसमें बखूबी दिखाया गया है।
नेशनल अवॉर्ड और लगातार मिल रही सफलता
2025 में ‘कटहल’ को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला, जो इसकी उत्कृष्टता का प्रमाण है। इसके अलावा, आईएमडीबी के अनुसार फिल्म अब तक 9 अवॉर्ड जीत चुकी है। रिलीज के दो साल बाद भी नेटफ्लिक्स पर यह फिल्म टॉप 10 में शामिल है, जो इसकी लोकप्रियता का सबूत है।
दर्शकों के दिलों पर क्यों छा गई ‘कटहल’?
दर्शकों को ‘कटहल’ में कहानी की सादगी, किरदारों की असलियत और समाज के मुद्दों पर व्यंग्य पसंद आया। यह फिल्म बिना किसी बड़े स्टारकास्ट या भारी-भरकम बजट के भी हिट साबित हुई। लोग इसे सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि एक संदेश लेने के लिए भी देख रहे हैं। यही वजह है कि दो साल बाद भी यह OTT पर धूम मचा रही है।
FAQs
प्रश्न 1: फिल्म ‘कटहल’ कब रिलीज हुई थी?
उत्तर: यह फिल्म साल 2023 में रिलीज हुई थी।
प्रश्न 2: ‘कटहल’ किस OTT प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है?
उत्तर: यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है।
प्रश्न 3: ‘कटहल’ को कौन सा अवॉर्ड मिला है?
उत्तर: इस फिल्म को साल 2025 में बेस्ट हिंदी फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला है।
प्रश्न 4: फिल्म में मुख्य किरदार किसने निभाया है?
उत्तर: मुख्य भूमिका में सान्या मल्होत्रा नजर आई हैं।
प्रश्न 5: फिल्म ‘कटहल’ की खासियत क्या है?
उत्तर: इस फिल्म की खासियत इसका सामाजिक व्यंग्य, कॉमेडी का मेल और सान्या मल्होत्रा का शानदार अभिनय है।
निष्कर्ष
‘कटहल’ ऐसी फिल्म है जो दर्शकों को हंसाते हुए सोचने पर मजबूर करती है। यह केवल एक कॉमेडी-ड्रामा नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दों का गहरा चित्रण भी है। सान्या मल्होत्रा की जबरदस्त परफॉर्मेंस और यशोवर्धन मिश्रा के निर्देशन ने इसे एक यादगार फिल्म बना दिया है। दो साल बाद भी नेटफ्लिक्स पर इसकी सफलता बताती है कि असली सिनेमा वही है, जो दिल को छू जाए और लंबे समय तक याद रहे।